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श्री विष्णु के तीसरे अवतार - देवर्षि नारद: ब्रह्मवैवर्त पुराण

श्री विष्णु के तीसरे अवतार - देवर्षि नारद

इमेज सोर्स: गीता प्रेस



नमस्कार दोस्तो, 

मेरा नाम है ध्रुव देव दुबे, आशा करता हु आप और आपके परिवार में सभी अच्छे होंगे। आज मैं आपके लिए पौराणिक और आध्यात्मिक कथाओं से जुड़े एक प्रेरणा दायक देवर्षि के बारे में बातें करने जा रहा हूं, जिसने जीवन भर बिना किसी स्वार्थ के सिर्फ लोक कल्याण के लिए ही काम किया जिनका नाम है देवर्षि नारद। देवर्षि नारद के बारे में बहुत सारी भ्रांतियां है की नारद कौन है, इनकी उत्पत्ति कैसे हुई, और इनके जीवन के उद्देश्य क्या थे। 

हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के कुल २३ अवतार हो चुके हैं और २४वा अवतार भगवान कल्कि का आना सुनिश्चित है। भगवान श्री विष्णु के २४ क्रमानुसार अवतार हैं -

१. श्री संकादि मुनि, २. वराह अवतार, ३. नारद अवतार, ४. नर नारायण अवतार, ५. कपिल मुनि, ६. दत्तात्रेय अवतार, ७. यज्ञ अवतार, ८. भगवान ऋषभदेव, ९. आदिराज पृथु, १०. मत्स्य अवतार, ११. कुर्म अवतार, १२. धनवंतरी अवतार, १३. मोहिनी अवतार, १४. नरसिंह अवतार, १५. वामन अवतार, १६. हयग्रीव अवतार, १७. श्री हरि अवतार, १८. परशुराम अवतार, १९. महर्षि वेदव्यास अवतार, २०. हंस अवतार, २१. श्री राम अवतार, २२. श्री कृष्ण अवतार, २३. बुद्ध अवतार, और २४. कल्कि अवतार।

 २४ अवतारों में से १० प्रमुख अवतार हैं-
मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नरसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, श्री राम अवतार,श्री कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, और कल्कि अवतार। जिनको हम अपने समझ के लिए कह सकते है

"दुई वनचर, दुई वारिचर, चारि विप्र, दुई भूप"

दुई वनचर: कुर्म अवतार, नरसिंह अवतार जो की वनों में रहते है।
दुई वारिचर: मत्स्य अवतार, वराह अवतार जो की जल में रहते है।
चारि विप्र: परशुराम, वामन, कल्कि, और बुद्ध अवतार  जो की ब्राह्मण बन के अवतरित हुए।
दुई भूप: भगवान के दो ऐसे अवतार जो की राजा बने श्री राम और श्री कृष्ण

श्री विष्णु जी का प्रथम अवतार 
ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मा जी ने अनेक लोकों की रचना की इच्छा करते हुए और इस सृष्टि के निर्माण के लिए घोर तप किया, और उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान श्री विष्णु ने चार मुनियों के रूप में अवतार लिया जिन्हे हम संकादिक ऋषि (सनक, सनंदन, सनातन, सनत कुमार) के नाम से जानते हैं। इन्हीं संकादिक ऋषियों को भगवान विष्णु का प्रथम अवतार माना गया है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार श्री विष्णु का दूसरा अवतार - वराह अवतार है। वराह भगवान से जुड़ी पुरातन कथा यह है कि दैत्य हिरनाक्ष ने जब पृथ्वी को समुद्र में ले जाकर छुपा दिया था तब ब्रहमा की नाक से भगवान विष्णु ने वराह के रूप में प्रकट हुए और तब देवताओं की अनुनय विनय के बाद भगवान ने समुद्र के अंदर जाकर पृथ्वी को ढूढना प्रारंभ किया और अंत में अपनी थूथनी की मदद से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर ले आए।

जब हिरणाक्ष को ऐसा पता चला तो उसने भगवान वराह को युद्ध के लिए ललकारा और युद्ध में वराह भगवान के द्वारा दैत्य हिरणाक्ष का वध हो जाता है, तद्नअंतर भगवान वराह ने अपने खूरों से समुद्र के जल को स्तंभित कर, उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया।

देवर्षि नारद अवतरण
इसी क्रम में वेद पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु का तीसरा अवतार नारद अवतार माना जाता है। इस अवतार को ब्रह्मा के सात मानस पुत्रों में से एक माना जाता है और ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार ये ब्रह्मा जी के कंठ से ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया को अवतरित हुए थे।

नारद अवतार का मुख्य उद्देश्य
नारद अवतार का मुख्य उद्देश्य धर्म का प्रचार प्रसार और लोक कल्याण के लिए काम करना था शास्त्रों के अनुसार देवर्षि नारद को भगवान का मन भी कहा जाता है अर्थात जो भगवान सोचते हैं वहीं नारद सोचते हैं और करते हैं।

देवर्षि नारद द्वारा कुछ महत्वपूर्ण कार्य
देवर्षि नारद ने भृगु कन्या लक्ष्मी का विवाह श्री विष्णु से, उर्वशी का पुरुरवा से करवाया, महादेव जी द्वारा जलंधर का विनाश करवाया, कंस को आकाशवाणी का अर्थ समझाया, वाल्मीकि जी को रामायण रचने की प्रेरणा दी, व्यासजी से भागवत की रचना करवाई, इंद्र, चंद्र, विष्णु, शंकर, युधिस्ठिर, राम, कृष्ण आदि को उपदेश देकर कर्तव्य भिमुख किया।

द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध के समय अर्जुन को अपने गीता ज्ञान में कहा है कि हे अर्जुन - देवर्षिणाम च नारदः। अर्थात मैं देव ऋषियों में, मैं नारद हूं। ( अध्याय १०, श्लोक २६)।

देवर्षि नारद को "समाचार के देवता" भी कहा जाता है। उनके अन्य नाम है - देवर्षि, ब्रह्म नंदन, सरस्वतीसुत, वीणा धर
जयंती: ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया
निवास स्थान: ब्रह्मलोक
मंत्र: नारायण, नारायण
अस्त्र: वीणा
माता पिता: सरस्वती, ब्रह्मा
भाई बहन: सनकादि ऋषि तथा दक्ष प्रजापति
सवारी: बादल ( जो बोल और सुन सकते हैं)

देवर्षि नारद का वक्तित्व परिचय
देवर्षि नारद को सभी युगों में, सभी लोकों में, समस्त विद्याओं में, और समाज के सभी वर्गों (देव और दैत्य) में एक विशेष स्थान प्राप्त है। श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार सृष्टि में भगवान श्री विष्णु ने देवर्षि नारद के रूप में तीसरा अवतार लेकर सात्वत्तंत्र ( जिसे पंचरात्र भी कहते हैं) का उपदेश दिया। जिसने सत कर्मों के द्वारा भवबंधन से मुक्ति का मार्ग दिया गया है। देवर्षि नारद वेद और उपनिषदों के अच्छे जानकार, देवताओं के पूज्य, इतिहास पुराणों के विशेषज्ञ, पूर्व कल्पो (अतीत) की बातों को जानने वाले, न्याय और धर्म के तत्वज्ञ, शिक्षा, व्याकरण, आयुर्वेद, ज्योतिष के प्रकांड विद्वान, संगीत विशारद, महा पंडित, प्रभावशाली वक्ता, धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के यथार्थ ज्ञाता, सांख्य और योग को जानने वाले, और वैराग्य के उपदेशक माने जाते हैं।

निस्कर्श: ये एक छोटी सी देवर्षि नारद की कहानी हमे यह बताती है की शस्त्र से बढ़ कर ज्ञान होता है जिसके माध्यम से आप किसी का भी हृदय परिवर्तन कर सकते है और बिना युद्ध या लड़ाई किए बिना ही जीत सकते है। और फिर से वही कहूंगा की "कर दिखाओ कुछ ऐसा कि दुनिया करना चाहे आपके जैसा".

याद राखिए हर सोमवार को एक नई प्रेरणा दायक कहानी लेके आता हूं। इसलिए इस ब्लॉग / आर्टिकल के बारे आप की क्या राय है कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। अगर आपको आध्यात्मिक, पौराणिक, भक्ति या प्रेरणादायक कहानी - किसी व्यक्ति, विषय पर पढ़ना है या जानना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में उस व्यक्ति विशेष या फिर विषय का नाम लिखे हम जरूर आप तक ओ कहानी ले कर आयेंगे।

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द्वारा,
ध्रुव देव दुबे
लेखक, ग्राफिक डिजाइनर, एचआर कंसल्टेंट
मोबाइल / व्हाट्सएप +९१ ७८९२५ ३०५२८
ईमेल: ddcontentwriter@yahoo.com












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